एक कता- ज़िन्दगी की आस के लिए । जला कर विशवास के दिए ।
आम जैसे हो कर भी हम ; जहाँ में कुछ ख़ास से जिए ॥
आम जैसे हो कर भी हम ; जहाँ में कुछ ख़ास से जिए ॥
हम ज़िन्दगी से बेज़ार नहीं लगते ।
अश्क बरसने के आसार नहीं लगते ।
हर हाल में क़ायम है खुश मिज़ाजी ;
तबस्सुम के हौसले बेकार नहीं लगते ।
जहाँ पोशीदा हो खुशियों की जवानी ;
वहां ग़म कभी सदाबहार नहीं लगते ।
जिन्हें हासिल हो ज़न्नत का क़रार ;
उनके जज़्बात कभी बेक़रार नहीं लगते ।
जो जीते हैं मक्कारी और फ़रेब की ज़िन्दगी ;
वो यक़ीनन हमें होशियार नहीं लगते ।
खुदगर्ज़ हुक्मरानों की इस दुनिया में ;
गरीबों के घरौंदे गुलज़ार नहीं लगते ।
जंगे हयात में गिर के जो उठे न 'राज़';
अश्क बरसने के आसार नहीं लगते ।
हर हाल में क़ायम है खुश मिज़ाजी ;
तबस्सुम के हौसले बेकार नहीं लगते ।
जहाँ पोशीदा हो खुशियों की जवानी ;
वहां ग़म कभी सदाबहार नहीं लगते ।
जिन्हें हासिल हो ज़न्नत का क़रार ;
उनके जज़्बात कभी बेक़रार नहीं लगते ।
जो जीते हैं मक्कारी और फ़रेब की ज़िन्दगी ;
वो यक़ीनन हमें होशियार नहीं लगते ।
खुदगर्ज़ हुक्मरानों की इस दुनिया में ;
गरीबों के घरौंदे गुलज़ार नहीं लगते ।
जंगे हयात में गिर के जो उठे न 'राज़';
वो हमें क़ामयाब शहसवार नहीं लगते ॥