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Oct 3, 2010

तब क्या होगा

कितने बरस और
इस शहर से सच
नहीं बोलेगा दर्पण ;
हिंसा/हताशा,
कुंठा/निराशा,
असुरक्षा/तमाशा
आदि से बाहर निकल कर
जब सच खोलेगा दर्पण
"तब क्या होगा"
कोई बता सकता है ???

निरुत्तरित सवाल

ख़ामोशी के उस पार
पड़े हुए अनंत सवाल
जो अभी तक
राख़ होने से बच गए हैं ,
वो मेरी जिंदगी को
टुकड़ों में बाँट कर
आज भी निरुत्तरित हैं !!

संघर्ष बाकी है .......

अपने हिस्से का
संघर्ष करने के बाद
मेरा वज़ूद खुशियाँ
समेटने में लगा ही था
......... कि मेरे मस्तिष्क ने
अहंकार बोध से तुरंत
बाहर निकालते हुए
मुझसे कहा -
अभी बहुत संघर्ष बाकी है !!!

एक जन्म और

एक दिन यूँ ही
अगली सुबह तक
किसी की प्रतीक्षा में
मेरा एक जन्म और
हो गया जब मैंने
चुप रह कर सोचना
छोड़ दिया ....... ! !

पानी

पेट की हमदर्दी
की वजह से हम
अपना दर्द बढ़ाते
जा रहे हैं ........
और कमबख्त
पानी है कि
मुंह में आने से
बाज़ नहीं आता ।।