Search This Blog

Apr 9, 2010

आँसू

सहेजने की इच्छा से
मैंने आँसू की एक बूंद
अपनी हथेली पर रख कर
मुट्ठी बंद कर ली ;
कुछ ही देर में
क्या देखता हूँ कि
मुट्ठी से आँसुओं की
धार बह चली ;
आँसू की वो एक बूंद
नदी हो गई ;
तब से मेरे आँसू निकले
सदी हो गई ,
इस डर से कि कहीं
सैलाब न आ जाये
और उस सैलाब में कहीं
ये संसार न समा जाये ॥

Apr 6, 2010

संवेदना की शून्यता

हाथ में लिए रोटी वो
ताकते हुए सितारों को
खा रहा था रोटी
करके छोटी छोटी
तभी अचानक किसी गहरी
सोच में डूब जाता है
और रोटी के बजाय
एक सितारे को खा जाता है
सितारा उसे भा जाता है
छोड़ के हाथ की रोटी
मुँह उठाये भागने लगता है
जाने क्या करता है
सडक पर चमचमाती
गाड़ियों का हजूम
तेज़ रफ़्तार से दौड़ रहा है
लेकिन वो सितारों के लिए
जी जान छोड़ रहा है
इतने में चिंचियाती हुई
गाड़ियाँ रुक जाती हैं
भीड़ चारों ओर
इकट्ठा हो जाती है
दुर्घटना देखती है
आपस में बतियाती है
और एक एक करके
बिखर जाती है
अपने अपने घर
चली जाती है
क्योंकि वो उनमें से
किसी की जान पहचान
वाला नहीं था
उन सब के लिए
अब वो आदमी
जान वाला नहीं था
इसलिए कौन उसे उठाता
संवेदना शून्य समाज
आखिर क्यों उसे
कफ़न ओढ़ाता ॥

Mar 20, 2010

हम बेज़ार नहीं

एक कता- ज़िन्दगी की आस के लिएजला कर विशवास के दिए
आम जैसे हो कर भी हम ; जहाँ में कुछ ख़ास से जिए

हम ज़िन्दगी से बेज़ार नहीं लगते
अश्क बरसने के आसार नहीं लगते
हर हाल में क़ायम है खुश मिज़ाजी ;
तबस्सुम के हौसले बेकार नहीं लगते
जहाँ पोशीदा हो खुशियों की जवानी ;
वहां ग़म कभी सदाबहार नहीं लगते
जिन्हें हासिल हो ज़न्नत का क़रार ;
उनके जज़्बात कभी बेक़रार नहीं लगते
जो जीते हैं मक्कारी और फ़रेब की ज़िन्दगी ;
वो यक़ीनन हमें होशियार नहीं लगते
खुदगर्ज़ हुक्मरानों की इस दुनिया में ;
गरीबों के घरौंदे गुलज़ार नहीं लगते
जंगे हयात में गिर के जो उठे 'राज़';
वो हमें क़ामयाब शहसवार नहीं लगते

Feb 7, 2010

अहंकार नहीं होता

सच्चे ज्ञानियों को अहंकार नहीं होता ।
किसी तरह उनमें विकार नहीं होता ॥
ज्ञान ही उन्हें देता है सफलतायें ;
उनका जीवन कभी लाचार नहीं होता ।
सबसे मिलता है जो झुक कर हमेशा ;
उसका बिगड़ा हुआ संस्कार नहीं होता ।
उपकार करके यदि भुला दिया जाये ;
तो इससे बड़ा कोई उपकार नहीं होता ।
ज्ञान का भौतिक रूप कहाँ है यारों ;
सच, उसका कोई आकार नहीं होता ।
सच्चे अनुयायी न मिलने पर "राज़";
ज्ञानियों का सपना साकार नहीं होता ॥

प्रगतिशील बेटा

प्रगतिशील विचारों वाले लड़के से
फ्रेंडशिप डे पर बाप ने
हाथ मिला कर बधाई दी
और तपाक से कहा -
बेटा ! बाप से दोस्ती करोगे ?
तो बेटे ने नाक भौं सिकोड़ कर
अपनी माँ से कहा -
मम्मी, इस फारवर्ड ज़माने में
पापा आज भी कितने "बैकवर्ड" हैं ,
उनके पास मुझसे बात करने के लिए
कुछ विशिष्ट ही तो "वर्ड" हैं ;
मेरे दोस्तों के क्रम में वे "सिक्सटीथर्ड" हैं ।
इसलिए, बाप से और दोस्ती !?!
न ममा न, मुझे अपनी खुशियों का
खून नहीं कराना है ,
और अगले फ्रेंडशिप डे पर तो
पापा से हाथ भी नहीं मिलाना है ॥

Jan 30, 2010

दिल सबसे अच्छी किताब है .

दिल वस्तुतः संसार में सबसे अच्छी किताब है ।
हम यदि अच्छे होवेंगे, तो कोई नहीं ख़राब है । ।
जलन, ईर्ष्या, द्वेष - भावना देती है अपार कष्ट ,
ह्रदय कोष्ठ में बंद रखें, ये उमड़ती हुई चिनाब है ।
रूप-रंग, शरीर- सौष्ठव, यदि सुंदर न हो तो क्या,
नेक दिली ही इन्सान का सर्वोत्तम शबाब है।
निर्व्यस्नित इंसानियत लावें अपने व्यव्हार में,
प्रशस्ति, मान, प्रसिद्धि-प्राप्ति का अच्छा यही हिसाब है।
सुकर्म, शीलता, सौम्यपन, ये मानवता के गहने हैं ,
ओढ़ सको तो ओढ़ लो यारों, अच्छी यही नक़ाब है।
इस 'राज़' की तारीफ़ में लिखे क्या कलम उसकी ,
जो साथ रहे वो ही समझे, क्या राजीव 'राज़' जनाब है ॥

Jan 24, 2010

निर्विवाद रूप से

मेरे मन मस्तिष्क पर
आच्छादित
भय की शाश्वतता जब
मेरी अनुभूतियों का
सानिध्य पाती है तो
निर्विवाद रूप से
इच्छा अनिच्छा की
सीमा तोड़कर
मेरी चेतना पर
संशय उपजा जाती है
तब मैं सन्देहयुक्त
अनिश्चयात्मक
जीवन की भंवर में
बिना पतवार की नाव सा
डूब रहा होता हूँ ॥