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Jan 14, 2010

ये दुनिया बड़ी खतरनाक हो गई ।
ख़ुशी की घड़ी दर्दनाक हो गई ।
लुट रही अस्मत सरे राह बच्चियों की ;
फिर एक घटना शर्मनाक हो गई ॥

निज़ाम मदहोश होंगे जब तक ।
एहसान फ़रामोश होंगे जब तक ।
कौन सुनेगा मज़लूमों की आवाज़ ;
लोग ख़ामोश होंगे जब तक ॥

हर तरफ़ देखिये भूखे नंगों की बस्ती ।
देर नहीं लगती यहाँ मिटने में हस्ती ।
क्या था अब क्या है हिन्दोस्ताँ हमारा ;
जहाँ ज़िंदगी महंगी पर मौत है सस्ती ॥

ये उसकी दी हुई निशानी है ।
मेरी अखियों में जो पानी है ।
देता है दिल दुआएं बार बार ;
उस बेवफा की मेहरबानी है ॥

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